आम लोग प्रतिशोध की भावना से सिर्फ नतीजे देखते हैं,
उनके कारणों पर सायद ही कभी ध्यान देते हैं -पृ-69
वर्ग समाज की नैतिकता का सच, जहाँ,
इंसानो को तो मारा जा सकता है लोकिन स्वार्थों को नहीं मारा जा सकता।
(पृ-138.6),
हम जीवन में समता की बात करते हैं, लेकिन कानून में असमानता का राज
है। (पृ-156.1)
बूर्ज्वा राजनीतिक प्रचार का सच,
किसी व्यक्ति को राजनीतिक रूप से प्रताड़ित कीजिए और आप पायेंगे कि न
केवल उसका कद बढ़ जायेगा बल्कि उसके अतीत का कलंक भी धुल जायेगा। (पृ-143.2)
समाज और इतिहास,
अपन समय के रीति-रिवाजो, प्रथाओं और नैतिकताओं के इतिहासकार को महज
तथ्यों के इतिहासकार के मुकाबले कहीं ज्यादा कड़े नियम का पालन करना पड़ता है। उसे
हर चीज की यहाँ तक कि सच की भी सम्भाव्यता दिखानी होती है; जबकि इतिहास के क्षेत्र में असम्भव को भी
महज इसलिये स्वीकार कर लिया जाता है कि वह वास्तव में घटित हुआ था। सामाजिक या
निजी जीवन में होने वाले बदलाव एक हजार स्थितियों से उपजे छोटे-छोटे कारणों का परिणाम
होते हैं। (पृ-164)
बदलाव,
बदलिये! अपनी नैतिकताएँ बदलिये इससे आपकी जीवन-चर्या बदलिये और आपके कानूनों
में भी बदलाव आयेगा। (पृ-188.1)
फ्रांसीसी क्रांति के बाद सत्ता में आये बूर्ज्वा,

चोरी और कानूनी लूट पर,
एक कुदरत से चुराई गई चीजों पर पलता था तो दूसरा कानूनी लूट पर ऐश
करता था। दोनो ठाठ से जीना पसन्द करते थे। यह एक ही स्वभाव की दो अलग-अलग प्रजातियाँ
थीं -एक कुदरती था, और दूसरे की भूख को मठ के बन्द माहौल में प्रशिक्षण ने उभाड़
दिया था। (पृ-213.7)
जन क्रांतियों के सबसे बड़े दुश्मन वे होते हैं जो खुद उनके
बीच से पैदा होते हैं। (पृ-245)
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