Thursday, June 25, 2015

देश और समाज के बारे में सोचने वाले राजनीतिक अनुगामियों (Political Followers) से कुछ महत्वपूर्ण सवाल



अलग-अलग राजनीतिक और आर्थिक विचारों का समर्थन करने वाले लोग हर समाज में होते रहे हैं और वर्तमान पूँजीवादी जनतन्त्र व्यवस्था में भी हैं। लेकिन वर्तमान व्यवस्था में एक बात सबसे अलग है, जो पुरानी सामन्ती, गुलामी और औपनिवेशिक व्यवस्थओं में नहीं थी, कि पूँजीवाद में अलग-अलग राजनीतिक-आर्थिक विचारों का समर्थन करने की ज्यादा स्वतन्त्रता लोगों को मिली हुई है। और यही कारण है कि आज कोई मोदी का समर्थन कर रहा है और कोई केजरीवाल का और कोई कांग्रेस का समर्थन कर रहा है।
मोदी का समर्थन करने वाले कई लोग जब मेरा ब्लॉग पढ़ते हैं तो कहते हैं कि मैं मोदी का समर्थन क्यों नहीं करता, यही बात कोजरीवाल के समर्थक भी कहते हैं, और ऐसे ही विचार कुछ और लोगों के समर्थक भी व्यक्त करते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि समाज का एक अंग होने के नाते हमें किसी एक राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति का समर्थन करने या उसका फालोअर बनने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में सोचना होगा। देश की जनता कोई भी सरकार क्यों चुनती है, इसका सिर्फ एकमात्र जबाव यही है कि लोग वर्तमान समय में अपने सामने मौजूद समस्याओं का समाधान चाहते हैं। और जब एक पार्टी की सरकार से सभी उम्मीदें खत्म हो जाती हैं तो लोग दूसरी पार्टी को आजमाने की कोशिश करते हैं। और यह क्रम काफी लम्बे समय (लगभग 66 साल) से चल रहा है। ऐसा नहीं है कि लोगों के जीवन स्तर में इन सालों में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन थोड़ा बदलाव होने के साथ असमानता में काफी इजाफा हुआ है, और समाज के एक छोटे हिस्से के सापेक्ष रखकर देखें तो आम लोगों का जीवन-स्तर पीछे गया है।
अब ऐसी परिस्थितियों में हर जागरूक नागरिक के लिये ज्यादा ज़रूरी है कि समाज में आम जनता की जो मुख्य समस्यायें हैं सबसे पहले उनके बारे में सोचे। जैसे, एक काम करने वाला व्यक्ति सबसे पहले अपने काम की परिस्थितियों के बारे में सोचता है, एक किसान अपनी गरीबी और खेती की खराब हालत के बारे में सोचता है, और हमारे देश की महिलायें जिनके ऊपर बुर्का और पर्दे में घर के अन्दर रहने जैसे अमानवीय परिस्थितियों रहना पड़ता है और जिन्हें अपनी मर्जी से काम करने, निर्णय लेने, और घर से बाहर निकलने पर भी पाबन्दी है वे किसी भी और बात से पहले समाज में अपनी दोयम दर्जे की परिस्थितियों के बारे में सोचती हैं। अब हर एक व्यक्ति, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में जी रहा हो, समाज का एक हिस्सा होने और समाज पर निर्भर्ता के कारण उसका नैतिक दायित्व बनता है कि वह अपने आसपास मौजूद दमित-उत्पीणित व्यापक आबादी के जिन्दगी से जुड़ी सभी ठोस परिस्थितियों का विश्लेषण लोगों के सामने लाने की कोशिश करे, और यह रेखांकित करे कि किसी भी सरकार द्वारा बनाई जा रही नीतियों से जनता की समस्याओं पर क्या असर हो रहा है।
आज हमारे देश की व्यापक जनता की मुख्य समस्यायें हैं लगातार बढ़ रही बेरोजगारी, गरीबी और कुपोषण, चिकित्सा सुविधाओं का घोर अभाव, शिक्षा का बाजारीकरण, सट्टेबाजों-दलालों के फायदे के लिये बनाई जा रही नीतियों के चलते लगातार बढ़ा जा रही सामाजिक-आर्थिक असमानता, निजी मुनाफे के लिये लुटाई जा रही देश की प्रकृतिक सम्पदा, अनेक कम्पनियों में ठेके पर काम करने वाले मेहनतकश लोगों की काम की बदतर परिस्थितियाँ, गाँव में गरीब किसानों के बदहाल हालत और उनके द्वारा की जा रही आत्महत्याएँ, महिलाओं के प्रति होने वाला भेदभाव-हिंसा और उनके प्रति समाज का असंवेदनशील रवैया, जाति और धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाने की अमानवीय कोशिशे, मुनाफाख़ोरी और अराजकता के कारण बहसीपने से की जा रही वातावरण की बर्बादी, आदि। समस्याओं की यह फेहरिस्त काफी लम्बी है, लेकिन हम इतनी समस्याओं के आधार पर अपने समाज की स्थिति का थोड़ा अंदाज लगा सकते हैं। (आने वाले समय के बारे में कुछ आंकड़ों को विस्तार से समझने के लिये देखें - http://sparkofchange.blogspot.com/2015/03/50.html)
अब इन परिस्थितियों के रहते किसी एक नेता का समर्थन करने की कोई आवश्यकता ही नज़र नहीं आती। मुख्य सवाल तो यह है कि क्या कोई नेता या कोई राजनीतिक पार्टी, जो जनता की सेवा और विकास के वायदे करती है, वह वास्तव में जनता की समस्याओं के लिये जमीनी स्तर पर कुछ कर भी रही है, या सिर्फ पब्लिशिटी-स्टण्ट्स के रूप मे कुछ नारे उछालकर लोगों का ध्यान उनकी समस्याओं से भटकाने की कोशिश कर रही है। इसका जबाव हर सोचने समझने वाले व्यक्ति को खुद तलाश करना पड़ेगा। और जिस दिन जबाव मिल जायेगा तो यह बिल्कुल स्पष्ट हो जायेगा क्या वास्तव में किसी एक नेता या पार्टी का समर्थक बनने की जरूरत है, या समाज की हर समस्या को रेखांकित (underline) करके लोगों का ध्यान उसकी ओर खींचने, और चाहे कोई भी सरकार हो, उसे उन समस्याओं के सुधारने के लिये ठोस काम करने का दबाव बनाने की आवश्यकता है।
आगली पोस्ट में जारी . . .

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