Friday, May 7, 2021

एक छोटी कहानी - जो काफी पुरानी है

हमारे एक बुजुर्ग हैं जो छोटी-छोटी कहानियाँ सुनाते रहते हैं। यह इन्हीं की सुनाई हुई एक छोटी कहानी है। आगे बढ़ने से पहले यह बता दूँ कि यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इसका किसी से कोई सम्बन्ध नहीं है और यदि किसी को ऐसा लगता है कि तो यह मात्र एक संयोग होगा क्योंकि यह कहानी आज से 10 साल पहले सुनाई गई थी।

"एक बंदर था, दिन भर खूब उछल-कूद करता था, पेड़ों पर सरपट चढ़ जाता था। बंदर की प्रवीणता को देख कर जंगल के जानवरों ने इसे अपना मुखिया चुन लिया। कुछ दिनों के बाद जंगल में आग लग गई और चारों ओर फैलने लगी। घबराये हुये जानवर बन्दर से आग रोकने के लिये जरूरी व्यवस्था को दुरुस्त करने की माँग लेकर पहुँचने लगे।जानवर जब मदद के लिये बंदर के पास जाते तो बंदर सरपट पेड़ पर चढ़ जाता, फिर तुरंत पेड़ से नीचे उतरता, और फिर पेड़ पर चढ़ जाता, एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उछल-कूद करने लगता। सभी जानवर यह देख कर हैरान थे।लेकिन जंगल में ये बात फैल गई कि बंदर के पास जब भी कोई शिकायत लेकर जाता है तो बंदर शिकायत सुनने के बाद इधर से उधर इस पेड़ से उस पेड़ पर गुलाटी मारता रहता है।

आखिर में बेहाल होकर सारे जानवरों ने बैठक बुलाई और तय किया की बंदर से मिला जाय और जंगल में लगी आग से हो रही दुर्दशा के बारे में चर्चा की जाय। सारे जानवर इकट्ठे होकर बंदर के पास पहुँच गए। कहने लगे जंगल में भयानक आग लगी है जो लगातार फैल रही है और जनवर उसकी चपेट में आकर मर रहे हैं। लेकिन आपके पास जब कोई शिकायत लेकर आता है तो आप सिर्फ इस पेड़ से उस पेड़ पर गुलाटी मरते रहते हैं।

बंदर ने कहा भाई आप शिकायत लेकर आते हैं तो मैं गुलाटी मारता हूँ क्योंकि मेरी यही खूबी है, मेरी कोशिशों में अगर कोई कमी हो तो आप लोग मुझे दोषी ठहरा सकते हैं। मैं अपनी तरफ से बहुत ईमानदारी से कोशिश करता हूँ। मैं बहुत भाग-दौड़ कर रहा हूँ जो मैं कर सकता हूँ वो मैं कर रहा हूं। मैं बहुत मेहनत से अपने काम को अंजाम देता हूँ अब मेरी कोशिशें कामयाब नहीं होती तो मैं क्या कर सकता हूँ।

ये सुनकर सारे जानवरों ने बन्दर को उसकी गद्दी से नीचे खींचकर इतनी कुटाई की कि बंदर डर कर भाग खड़ा हुआ और फिर कभी वापस जंगल नहीं लौटा। और सभी  आपस में मिलकर जंगल की आग को बुझाने में जुट गये।" 

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