"शान्त और ऐसे समय
में, जब किसी तरह की कोई उथल-पुथल नहीं होती, हर प्रशासक को ऐसा लगता है कि उसके
प्रयासों की बदौलत ही उसके अधीन सारी आबादी का काम-काज अच्छे ढंग से चल रहा है और
इस चेतना को कि उसके बिना काम नहीं चल सकता, वह अपनी सारी मेहनत और कोशिशों का
सबसे बड़ा पुरस्कार अनुभव करता है। यह समझना आसान है कि जब तक इतिहास का सागर
शान्त रहता है, नाज़ुक-सी नाव पर सवार और बांस के सहारे जनता के जहाज़ के साथ खुद
भी तैरते हर प्रशासक को ऐसा लगता है कि उसी के प्रयासों के फलस्वरूप वह जहाज़
तैरता जा रहा है जो स्वयं उसके लिए भी अवलम्ब है। किन्तु जैसे ही तूफ़ान आता है,
सागर बेचैन हो उठता है और जहाज़ ख़ुद ही लहरों के थपेड़ों का सामना करने लगता है,
तब इस तरह के भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं रहती। विराटकाय जहाज़ अपनी स्वतंत्र गति से
आगे बढ़ता जाता है, प्रशासक की नाव का बांस बढ़ते जाते जहाज़ तक नहीं पहुँचता और
तब वह प्रशासक शक्ति-स्रोत के बजाय तुच्छ, अनुपयोगी और दुर्बल व्यक्ति बनकर रह
जाता है।" - तोलस्तोय, (युद्ध ओर शान्ति खण्ड-3)
"अंतिम रूप में वह परिस्थितियाँ जिनपर सब कुछ निर्भर
करता है, ऐसा मोड़ ले लेती हैं कि एक उदासीन आम
जनता में भी जोशीले प्रयास करने और साहसिक निर्णय लेने की क्षमता आ जाती है।
आन्दोलन के लिए इंतजार करते हुए जब तक कि परिस्थितियाँ अनुकूल मोड़ लेती हैं, तब तक हमें ध्यान पूर्वक पिछड़ी आम जनता का अध्ययन करना चाहिए। आम
जनता कभी भी साहसिक निर्णय लेने की पहल नहीं करती;
लेकिन हमें इस आम जनता को बनाने वाले लोगों के चरित्र का पता होना चाहिए "यह समझने के लिए कि पहल उन्हें किस दिशा में प्रोत्साहित करेगी।" और
जितने ज़्यादा ठीक ढंग से काल्पनिक लेखन (उपन्यास) आम जनता के चरित्र का वर्णन करेगा,
उतना ही यह लेखन उन लोगों के काम को आसान बना देगा, जो अनुकूर परिस्थितियों में
महान निर्णय लेने के लिए पहल करेंगे।" -
प्लेखानोव*
"आम लोग अखबार नहीं पढ़ते, राजनीतिक मामलों पर कोई ध्यान
नहीं देते और इन मामलों पर उनका कोई विशेष प्रभाव नहीं होता। आजकल की परिस्थितियां
ऐसी ही हैं, आम लोगों की चेतना अभी भी गहरी नींद में है। लेकिन जब यह “आम लोग” आधुनिक विज्ञान के नतीजों को समझने वाली “सर्व-श्रेष्ठ लोगों” से बनी ऐतिहासिक सक्रिय वेंगार्ड (vanguard) दल के प्रभाव में जाग उठेंगे, तब वे यह समझ लेंगे
कि क्रांतिकारी रूप से समाज का पुनर्निर्माण करना
उनका कार्यभार है, और तब वे इस पुनर्निर्माण के कार्यभार को अपने हाथों में ले लेंगे, जो प्रत्यक्ष
रूप में राजनीतिक संरचना के सवाल से नहीं
जुड़ा है। ऐसे थे चार्नेशेवेश्की के मुख्य विचार . . ." - लेनिन**
___________________
* [The circumstances, on which everything
depends in the last resort, may take such a turn that even an apathetic mass
will become capable of vigorous effort and courageous decision. While waiting
for the moment when the circumstances take a favorable turn, one must
attentively study the backward mass. The initiative in taking courageous
decisions will never come from the mass of the populace; but one has to know
the character of the people making up this mass “in order to know in what way
initiative may stimulate them.” And the more accurately fiction represents
the character of the mass of the people, the more it will facilitate the task
of those who, under favorable circumstances, will have to take the initiative
in making great decisions. - Plekhanov]
** [The “ordinary people” do not read newspapers, do not occupy
themselves with political affairs and have no influence on their course. That
is the situation now, while their consciousness is still fast asleep. But when
it awakens under the influence of the vanguard of the active historical army,
consisting of the “best people,” who have learned the lessons of modern
science, then the “ordinary people” will understand that their task consists
in the radical reconstruction of society, and then they will undertake the work
of this reconstruction, which has no direct relation to questions of the
forms of political structure. Such were Chernysheysky’s predominant views . . .
- Lenin]
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