आग्नेय वर्ष उपन्यास के इस हिस्से में एक मध्यवर्ग के कलाकार पास्तुख़ोव के
मानसिक द्वंद का एक शानदार चित्रण!
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जो क्रांति से पहले आराम से जी रहा था, और
क्रांति के बाद जब प्रतिक्रियावादी कज्जाक उसे क्रांतिकारी होने के संदेह में गिरफ्तार कर लेते
हैं, तब, गिरफ्तार होने के बाद, समाज की परिस्थितियों के
बारे में उसके दिमाग मे क्या विचार पैदा होते हैं, और अंत में वो किस प्रकार एक झींगुर को देखकर मध्यवर्ग की स्थिति
से घ्रणा कर उठाता है,
बाकी खुद नीचे के पन्नो को देखें :
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