"साहित्य के महारथियों के प्रति न्याय करने के लिये यह कहना होगा कि वे अपने पतित नायकों के प्रति क्रूर कभी नहीं रहे, इन लेखकों ने हमेशा ऐतिहासिक मानवतावाद के प्रतिनिधियों की हैसियत से अपनी बात कही, जो निसन्देह एक उपलब्धि है और मानवजाति का एक ्रआभूषण है। ऐसा प्रतीत होता है कि सारे अपराधों में विश्वासघात ही एक ऐसा अपराध है जिसे साहित्य में, ... कोई सहानुभूति नहीं मिली। शेष सभी (आपराधिक) मामलों में अपराधी या टुच्चे-बदमाशों के अन्धकारपूरित-अन्ताकरण में सदैव एक उजाला कोना, एक मरुद्यान होता है, जिसके प्रभाव की दया से नीच से नीचतम मनुष्य भी मनुष्य बने रहते हैं।
बहुधा, यह कोना अपने या किसी और के बच्चे के प्रति प्यार का कोना होता था। बच्चे मानवीय विचार का एक अभिन्न अंग हैं, ऐसा लगता है कि वे उस सीमा के निशान हैं, जिनसे अधिक नीचे कोई आदमी गिर नहीं सकता है। बच्चों के विरुद्ध अपराध मानवता की सीमा से नीचे है."
आन्तोन मकारेन्को
देश में घटित हो रहे बच्चों के प्रति अपराध की घटनाओं और प्रशासन व राज्यसत्ता की आपराधिक लापरवाही के कारण बीमारी और कुपोषण से मर रहे बच्चों के बारे में संजीदगी से सोचें तो ऐसा लगता है कि वर्तमान समाज की मानवीयता नष्ट हो रही है। कुछ लोग उस सीमा तक असंवेदनसील हो चुके हैं कि उन्हे इंसान नहीं कहा जा सकता।