Friday, March 3, 2017

नौजवानों, लेखकों और कलाकारों के संदर्भ में - मक्सिम गोर्की के कुछ शब्द (Maxim Gorky Quotes)

कलाकार अपने देश तथा वर्ग का संवेदनशील ग्रहणकर्ता है – उसका कान, आँख तथा हृदय है। वह अपने युग की आवाज है। उसका कर्तव्य है कि जितना कुछ जान सकता हो जाने और अतीत को वह जितनी भलीभाँति जानेगा, वर्तमान को उतना ही अधिक अच्छी तरह समझेगा और उतनी ही गहराई और सूक्ष्मता से वह हमारे समय की सर्वव्यापी क्रान्तिकारिता तथा उसके कार्यभार की व्यापाकता को बोधगम्य कर सकेगा। उसके लिये जनता के इतीहास का ज्ञान आवश्यक है और इसी प्रकार सामाजिक तथा राजनीतिक चिन्तन का ज्ञान भी।
मेरे लिये मानव से परे विचारों का कोई अस्तित्व नहीं है। मेरे नज़दीक मानव तथा एकमात्र मानव ही सभी वस्तुओं और विचारों का निर्माता है। चमत्कार वही करता है और वही प्रकृति की सभी शक्तियों का भावी स्वामीं है। हमारे इस संसार में जो भी अति सुन्दर है उसका निर्माण मानव श्रम, और उसके कुशल हाथों ने किया है। हमारे सभी भाव और विचार श्रम की प्रक्रिया में उत्पन्न होते हैं और यह ऐसी बात है, जिसकी कला, विज्ञान तथा प्रविधि का इतिहास पुष्टि करता है। विचार तथ्य के पीछे चलता है। मैं मानुष्य को इसी लिये प्रणाम करता हूँ कि इस संसार में मुझे कोई ऐसी चीज़ नहीं दिखाई देती जो उसके विवेक, उसकी कल्पनाशक्ति, उसके अनुमान का साकार रूप न हो।
यदि पावन वस्तु की चर्चा आवश्यक ही है, तो वह है अपने आपसे मानुष्य का असंतोष, उसकी यह आकांक्षा कि वह जैसा है उससे बेहतर बने। जिन्दगी की सारी गन्दगी के प्रति, जिसे उसने स्वयं जन्म दिया है, उसकी घृणा को भी मैं पवित्र मानता हूँ। ईर्षा, धनलिप्सा, अपराध, रोग, युद्ध तथा संसार में लोगों के बीच शत्रुता का अंत करने की उसकी इच्छा और उसके श्रम कों पवित्र मानता हूँ।

पुस्तक भी जीवन और मानव के समान ही है। वह भी एक सजीव तथा बोलता तथ्य है, और वह उन सब वस्तुओं की तुलना में जिनकी सृष्टि मनुष्य ने की है, या कर रहा है, सबसे कम वस्तु है।

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