Saturday, May 10, 2014

पाब्लो नेरूदा की कविता ‘आम आदमी’ के कुछ अंश


मुझे लगता है कि

स्वर्ग में उस आदमी को भी

होना चाहिए

उपयुक्त मान-सम्मान के साथ

मुझे लगता है कि

जिन लोगों ने इतनी सारी चीजें बनाई हैं

उन्हें हर चीज मिलनी चाहिए

और जो रोटी बनाते हैं

उन्हें भी रोटी मिलनी चाहिए

खाने के लिए

और जो खदानों में खटते हैं

उन्हें भी रौशनी मिलनी चाहिए

हद हो गई है अब

ज़ंजीरों में जकड़े हाशिए पर के लोगों के लिए



हद हो गई है अब

कमज़ोर खोए हुए लोगों के लिए



कोई भी आदमी

शासक बने बगैर समाप्त नहीं होगा

और कोई भी औरत

अपने मुकुट के बग़ैर



उपने सोने के दस्तान हर हाथ के लिए

सभी दीन-हीनों के लिए सूरज की रौशनी



मैं उस आदमी को जानता था

और जब मैंने उसे जाना था

तब भी उसकी खोपड़ी में आँखें थीं

तब भी उसके गले में आवाज़ थी

मै उससे कब्रों के बीच मिला था

और मैंने उससे कहा

उसका हाथ दबाते हुए

जो अभी मिट्टी नहीं हुआ था

सब कुछ बीत जायेगा

और तुम फिर भी जीवित रहोगे

तुमने जीवन में ज्योति जगाई है

तुमने जो कुछ भी बनाया है वह तुम्हारा है



इसलिए कोई परेशान न हो

जब मैं अकेला दिखता हूँ

मैं अकेला नहीं होता

मैं हर किसी के साथ होता हूँ

और सबके लिए आवाज़ उठाता हूँ

कुछ लोग मेरी बात सुन रहे हैं

हालांकि वे नहीं जानते

जिनके लिये मैं गाता हूँ

और जो इसे जानते हैं

वे जन्म लेते रहेंगे
और दुनिया भर में फैल जायेंगे

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